Shikha Arora

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लेखनी प्रतियोगिता -09-Jun-2022 - गंगा

गंगा मैय्या तेरी अनोखी कहानी
आज मैं कहना चाहूं अपनी जबानी।
शिव की जटा से निकली , 
भगीरथ लाए तुझे धरती पर।

सबकी इच्छा यही हैं होती , 
गंगाजल हो मुंँह में तुलसी दल के साथ।
जब प्राण छूटे तन से, 
हो अंतिम संस्कार।
तेरे अंदर समा जाए वह , 
मिले मोक्ष का द्वार।

बहती हो हमेशा निर्मल निर्मल, 
पर जब अपने रोद्र रूप में आती हो, 
सबकुछ बहा ले जाती हो।
शीतल जल हैं रहता सदा, 
तेरा धाम हैं पावन सदा।

गंगा घाट पर बैठ कर , 
शांति मिलती अपार।
साधु - सन्यासी हो या गृहस्थ कोई, 
सबको देती एक सा प्यार।

गंगा तुम मैय्या कहलाती, 
बच्चों को आंँचल में भरती।
डुबकी लगाए हजारों बार, 
राजा हो या रंक ,  फकीर।
पाप धोती हो सबके, 
सबका करती निर्मल मन ।

घाट तो हैं बहुत सारे , 
हमको गंगा घाट प्यारा।
तुझसे मिलने की खातिर , 
मैय्या आता संसार सारा।

आरती तेरी जो कोई करता , 
फल उसको मिलता अपरंपार।
गंगा मैय्या तेरी अनोखी कहानी।।

दैनिक प्रतियोगिता हेतु
शिखा अरोरा (दिल्ली)

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7 Comments

Seema Priyadarshini sahay

11-Jun-2022 05:22 PM

बेहतरीन

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Swati chourasia

10-Jun-2022 06:26 AM

बहुत खूब 👌

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Abhinav ji

10-Jun-2022 01:05 AM

Nice

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